*मुजफ्फरनगर की चर्चित शत्रु संपत्ति 570 बीघा भूमि पर विवाद*
*कही हुआ तो नही अरबो की सम्पत्ती पर खेल*
*अपना दावा कर रहे कुंवर आलोक स्वरूप एवं कुंवर अनिल स्वरूप*
*लोगो का कहना है कि अवैध तरीके से है सम्पत्ती पर कब्जा*
मुजफ्फरनगर कोतवाली स्थित मीडिया सेंटर पर प्रेसवार्ता में कुंवर आलोक स्वरूप एवं कुंवर अनिल स्वरूप ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया प्रेस वार्ता में कुंवर आलोक स्वरूप एवं कुंवर अनिल स्वरूप ने मुजफ्फरनगर की चर्चित शत्रु संपत्ति 570 बीघा भूमि के बारे में स्थिति बात करते हुए अपनी बात रखी । कुंवर आलोक स्वरूप एवं कुंवर अनिल स्वरूप ने विस्तार पूर्वक बताया कि समाचार पत्रों के माध्यम से खेवट संख्या 4 बटा एक मांहाल रुस्तम आली खान को शत्रु संपत्ति बताते हुए समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं जो निराधार एवं बेबुनियाद हैं खेवट संख्या 4 बटा एक मां हाल रुस्तम अली खान का नवाब सज्जाद अली खान ने दिनांक 7 फरवरी 1942 को पांच ₹5000 के 2 चेक कुल ₹10000 लेकर लाला दीपचंद के नाम इकरारनामा कर दिया गया था खेवट 4 बटा 1 में 570 बीघा भूमि लगभग बैठती है नवाब सज्जाद अली खान ने 2 महीने बाद ₹58000 लेकर बैनामा 4 अप्रैल 1942 को लाला दुर्गा प्रसाद के हक में कर दिया था दुर्गा प्रसाद के नाम बैनामा किए जाने के बाद लाला दीपचंद ने एक वाद सिविल कोर्ट प्रथम मेरठ पर यहां सन 1942 में दायर किया गया जिसका वाद संख्या जार बड़ा 1942 था जिसमें सुनवाई के बाद दिनांक 28 अप्रैल 1943 लाला दीपचंद के खिलाफ निर्णय आया और दुर्गा प्रसाद के हक में किया गया बैनामा न्यायालय ने सही माना सिविल कोर्ट प्रथम मेरठ के फैसले के विरुद्ध लाला दीपचंद ने हाईकोर्ट में अपील की जिस का अपील नंबर 410 बटा 1943 का हाईकोर्ट की फुल बेंच ने डाला दीपचंद द्वारा डाली गई अपील को स्वीकार करते हुए 6 वर्ष तक लंबी सुनवाई की हाईकोर्ट ने दिनांक 12 मई 1949 को फैसले में दुर्गा प्रसाद के बैनामे को निरस्त कर दिया तथा मालिकाना हक लाला दीपचंद को दे दिया इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुल बेंच ने आदेश दिया कि 3 माह के भीतर ₹62000 न्यायालय में जमा करेंगे तब न्याय ले ही लाला दीपचंद के नाम बैनामा आन बिहाफ सज्जाद अली खान करेगा क्योंकि नवाब सज्जाद अली खान पाकिस्तान चले गए थे इसलिए सिविल जज प्रथम मेरठ के न्यायधीश रमेश चंद्र सरीन ने दिनांक 30 मई 1950 को लाला दीपचंद के हक में बैनामा कर दिया न्यायालय द्वारा बैनामा लाला दीपचंद के हक में किए जाने के बाद लाला दुर्गा प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट इलाहाबाद के खिलाफ अपील दायर की जिसका नंबर s.l.p. 86 बटे 1950 था यहां पर सभी पक्षों की 3 साल सुनवाई होने के बाद दिनांक 18 नवंबर 1953 को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय को सही मानते हुए लाला दीपचंद की मिल्कियत को सर्वोच्च न्यायालय ने सही माना इस मामले में ही सर्वोच्च न्यायालय ने कस्टोडियन आप यूपी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया कस्टोडियन आफ यूपी अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में पेश हुए तथा अपनी दलील रखी सर्वोच्च न्यायालय ने कस्टोडियन आफ यूपी की दलील को खारिज करते हुए उनका कोई अधिकार नहीं माना और लाला दीपचंद के स्वामित्व को बरकरार रखा सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि न्यायालय में जमा ₹62000 में से ₹58000 लाला दुर्गा प्रसाद को दिया जाए तथा शेष ₹4000 कस्टोडियन को दिया जाए यह भूमि देश की आजादी से पूर्व अर्थात सन 1942 में नवाब साहब द्वारा भेजी गई थी और इसमें हम दोनों पक्ष कार भारत के नागरिक थे और उनके परिवार वर्तमान में भी भारत के नागरिक हैं इसलिए यह भूमि शत्रु संपत्ति होने का प्रश्न ही नहीं उठता खेवट संख्या 4 बटा 1 रुस्तम अली खान के अंतर्गत आने वाली भूमिका पूरा भाग या कुछ भाग पटेल नगर नई मंडी द्वारिकापुरी गांधी कॉलोनी आदर्श कॉलोनी लाला दीपचंद कॉलोनी साकेत कॉलोनी आदि कॉलोनियों में स्थित है उक्त कालोनियों में रहने वाले लोगों के रजिस्ट्री लाला दीपचंद तथा लाला दीपचंद के परिवार के सदस्यों द्वारा ही किए गए हैं खेवट संख्या 4 बटा 1 के अंतर्गत आने वाली 570 बीघा भूमि मैं से 40 बीघा जमीन हमारे पास है बाकी सब भूमि उपरोक्त कॉलोनी में रहने वाले हजारों लोगों के पास है जिसका शत्रु संपत्ति से कोई संबंध नहीं है पिछले कुछ समय से कुछ असामाजिक तत्व फर्जी शिकायतें करके शत्रु संपत्ति विभाग भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को करके गुमराह कर रहे हैं उनकी सभी शिकायतें आधारहीन है हमने जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर इस सारे प्रकरण की जांच तथा निस्तारण करने का अनुरोध किया है जिससे आम जनता को सही स्थिति का पता चल सके हम माननीय केंद्रीय मंत्री डॉक्टर संजीव कुमार बालियान जी का भी आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इसमें स्वयं माननीय जिलाधिकारी महोदय को इस प्रकरण का शीघ्र निस्तारण करने के लिए दिशा निर्देश दिए हैं वही हमारी भी मांग है कि इस पूरे प्रकरण की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराई जाए दूध का दूध पानी का पानी किया जाए कुंवर आलोक स्वरूप एवं कुंवर अनिल स्वरूप ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की भी मांग की और कहा कि प्रार्थना पत्र देकर शासन प्रशासन को गुमराह करने वाले फर्जी लोगों को बेनकाब किया जाए,मीडिया सेंटर पर प्रेसवार्ता में कुवँर देवराज पँवार,ललित माहेश्वरी, कुवँर आलोक स्वरूप,कुवँर अनिल स्वरूप आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे